क्योंकि में भगवान नहीं हूँ
( हिय उद्गार)
कोई कुछ भी समझे लेकिन,
मैं वक्ता विद्वान नहीं हूँ।
मुझ मैं लाखों कमियाँ यारो,
क्योंकि मैं भगवान नहीं हूँ।
1-
जिनका महके सारा उपवन,
मेरे लिए एक फूल नहीं है।
उनको दे दूँ सब कुछ अपना,
हो सकती अब भूल नहीं है।
समझ सकूँ न उनकी चालें,
इतना भी नादान नहीं हूँ।
मुझ मैं लाखों कमियाँ यारो,
क्योंकि मैं भगवान नहीं हूँ।
2-
लक्ष्मी जी के जो हैं पुजारी,
सरस्वती का मान नहीं है।
मेरे मन में श्री मान का,
किंचित भी सम्मान नहीं है।
करें उपेक्षा मेरी हरदम,
क्योंकि मैं धनवान नहीं हूँ।
मुझ मैं लाखों कमियाँ यारो,
क्योंकि मैं भगवान नहीं हूँ।
3-
तेरे लिए सब दिन हैं मेरे,
क्या मेरे इक रोज रहे हो।
मैं भूलों को भूलूँ लेकिन,
मेरी भूलें खोज रहे हो।
क्षमा करूँ मैं हरदम तुम को,
इतना बड़ा महान नहीं हूँ।
मुझ मैं लाखों कमियाँ यारो,
क्योंकि मैं भगवान नहीं हूँ।
4-
सफल हुये तो आप हुये हैं,
हो असफल तो दोषारोपण।
केवल लेना ही सीखा है,
और करोगे कितना शोषण।
समझ रहा हूँ सबकी बातें,
इतना भी अज्ञान नहीं हूँ।
मुझ मैं लाखों कमियाँ यारो,
क्योंकि मैं भगवान नहीं हूँ।
विनोदी महाराजपुर
Kavita Jha
19-Oct-2022 03:56 PM
अति सुन्दर भाव अभिव्यक्ति 👌
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
19-Oct-2022 08:51 AM
बहुत ही सुंदर सृजन और अभिव्यक्ति एकदम उत्कृष्ठ लाजवाब लाजवाब
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विनोदी महाराजपुर
19-Oct-2022 12:08 PM
आदरणीय धन्यवाद
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Renu
18-Oct-2022 11:48 PM
बहुत ही सुन्दर 🙏🙏🌺
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विनोदी महाराजपुर
19-Oct-2022 12:09 PM
आभार आदरणीय
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